Navratri का पावन पर्व फिर से आ रहा है और इस वर्ष Navratri 2025 में हम विशेष रूप से माता देवी चंद्रघंटा की पूजा और उनके मंत्रों के बारे में जानेंगे। देवी चंद्रघंटा को शक्ति, धैर्य और साहस की देवी माना जाता है तथा उनके स्वरूप का वर्णन धार्मिक ग्रंथों में बड़े आदर के साथ किया गया है। इस पोस्ट में आप जानेंगे देवी चंद्रघंटा का महत्व और गुण, मंत्र का उच्चारण और उनका अर्थ, पूजा विधि कैसे करें और Navratri 2025 के लिए कुछ उपयोगी टिप्स और शुभ तिथि। आइए इस शुभ अवसर पर अपने आध्यात्मिक अनुभव को और अधिक समृद्ध बनाएं।
देवी चंद्रघंटा, माता दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी होने के कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी का यह स्वरूप शौर्य, वीरता और साहस का प्रतीक है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से इनकी पूजा करता है, उसके जीवन से भय और नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। देवी चंद्रघंटा के गुणों में धैर्य, संयम, करुणा और पराक्रम प्रमुख हैं। साधक को आंतरिक शांति और दिव्य ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
Navratri के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
देवी की प्रतिमा या चित्र को साफ स्थान पर स्थापित करें।
गंगाजल से शुद्धिकरण करें और दीपक प्रज्वलित करें।
पुष्प, फल, नारियल और विशेषकर गंध, अक्षत व मिठाई अर्पित करें।
देवी चंद्रघंटा का मंत्र जपें और धूप-दीप से आरती करें।
इस विधि से पूजा करने पर जीवन में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
देवी चंद्रघंटा का प्रमुख मंत्र है:
ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः॥
अर्थ: इस मंत्र का जप करने से साधक को भयमुक्ति, साहस और सकारात्मक शक्ति की प्राप्ति होती है।
एक अन्य स्तुति मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघंटेति विश्रुता॥
अर्थ: माता चंद्रघंटा अपने भक्तों को शांति, समृद्धि और आत्मबल का आशीर्वाद देती हैं।
इस वर्ष Sharad Navratri 2025 का प्रारंभ [अपनी तिथियां update करें] से हो रहा है।
तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
भक्तों को इस दिन पीले या सुनहरे रंग के वस्त्र पहनने चाहिए।
पूजा के दौरान शंख और घंटी बजाना शुभ होता है।
उपवास रखने वाले भक्तों को सात्विक भोजन और ध्यान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मां चंद्रघंटा की कृपा पाने के लिए नियमित ध्यान और साधना अत्यंत आवश्यक है।
प्रतिदिन प्रातः काल “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” का कम से कम 108 बार जप करें।
ध्यान के समय देवी की प्रतिमा या उनके स्वरूप का मानसिक चिंतन करें।
रोज़ाना 10–15 मिनट मौन साधना करें और आंतरिक शांति पर ध्यान केंद्रित करें।
साधना के दौरान घंटी या शंख बजाना वातावरण को पवित्र बनाता है।
इन उपायों को अपनाने से जीवन में आत्मविश्वास, साहस और मानसिक संतुलन बढ़ता है।
अगर आप देवी-देवताओं की पूजा विधि और मंत्रों के बारे में और गहराई से पढ़ना चाहते हैं, तो आप Drik Panchang पर जा सकते हैं। यह वेबसाइट वैदिक मंत्रों, पर्व-त्योहारों की तिथियों और पूजा विधियों की विस्तृत जानकारी देती है, जो आपके आध्यात्मिक अभ्यास को और समृद्ध बना सकती है।
Navratri 2025 में देवी चंद्रघंटा के मंत्र एवं पूजा विधि के इस ज्ञान को अपनाकर आप अपनी आस्था को मजबूत कर सकते हैं। देवी चंद्रघंटा की कृपा से आपका मन निडर बन जाए, साहस और सकारात्मक ऊर्जा मिले। यदि आप और देवी-देवताओं के मंत्रों, कथा-कहानियों और विशेष पूजाओं के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे अन्य posts देखें। इस दिव्य पर्व की शुभकामनाएँ, जय माता दी।
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