मां कालरात्रि (Kalratri Devi) नवरात्रि के सातवे दिन पूजी जाती हैं। देवी दुर्गा का यह स्वरूप अज्ञान और भय का नाश करने वाला माना जाता है। मां का काला और भव्य रूप सभी नकारात्मक शक्तियों का अंत करता है और भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है। देवी कालरात्रि को “शुभंकारी” भी कहा जाता है क्योंकि वे अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। नवरात्रि में मां के प्रत्येक स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है। ठीक वैसे ही जैसे Maa Skandamata Puja Vidhi का पठन-पाठन पाँचवें दिन किया जाता है, वैसे ही सातवे दिन मां कालरात्रि की उपासना करने से सभी तरह के भय और बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
मां कालरात्रि (Kalratri Devi) नवरात्रि के सातवे दिन पूजी जाती हैं। देवी दुर्गा का यह भयंकर किन्तु मंगलकारी स्वरूप माना जाता है। मां का रूप गहन काला है, बाल खुले हुए हैं, गले में माला है और उनका वाहन गधा है। उनके हाथों में आयुध है, जो बुरी शक्तियों का संहार करने की शक्ति का प्रतीक है। कालरात्रि देवी को अंधकार का नाश करने वाली देवी माना जाता है और इसलिए उन्हें “शुभंकारी” भी कहा जाता है।
सुबह स्नान करके स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल को साफ करके उसमें गंगाजल छिड़कें।
मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
रोली, हल्दी, चंदन और लाल फूल अर्पित करें।
गुड़ और धूप-दीप से मां की आराधना करें।
श्रद्धा से मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें।
अंत में आरती करें और भक्तिपूर्वक प्रसाद वितरित करें।
मां कालरात्रि का बीज मंत्र:
🔹 ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नमः॥
Kalratri Devi का ध्यान मंत्र:
🔹 एकवेणी जपाकर्णपूरा नाग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
माना जाता है कि Kalratri Devi Mantra के जाप से साधक को साहस, शक्ति और शांति मिलती है। इस मंत्र का नियमित जाप भय, रोग और शत्रु बाधाओं को नष्ट करता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब दैत्य शुंभ और निशुंभ ने तीनों लोकों में आतंक मचाया, तब देवी दुर्गा ने कालरात्रि के रूप में अवतार लिया। उन्होंने अपने उग्र और भयंकर रूप से राक्षसों का नाश किया और देवताओं को विजय दिलाई। इसीलिए Kalratri Devi को बुरी शक्तियों का नाश करने वाली और शुभ फल देने वाली देवी माना जाता है।
नवरात्रि के सातवे दिन की पूजा विशेष रूप से भय और अज्ञान को दूर करने के लिए की जाती है। इस दिन Kalratri Devi की उपासना करने से भक्त के जीवन से सभी तरह की बाधाएँ समाप्त होती हैं। जो साधक मां की आराधना करते हैं उन्हें अपार साहस, आत्मविश्वास और शक्ति प्राप्त होती है।
मां कालरात्रि की आरती:
जय अम्बे कालरात्रि,
जय जय मां जगदम्बे।
भय का नाश करने वाली,
भक्तों का दुख हरने वाली॥
आरती और स्तुति करने से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है और परिवार पर मां की कृपा बनी रहती है।
मां कालरात्रि की उपासना से साधक को कई दिव्य लाभ प्राप्त होते हैं:
जीवन से भय, रोग और शत्रु बाधा समाप्त होती है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का वास होता है।
साधक के आत्मविश्वास और शक्ति में वृद्धि होती है।
मां की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष और परम आनंद की प्राप्ति होती है।
मां कालरात्रि (Kalratri Devi) की उपासना नवरात्रि के सातवे दिन भय, शत्रु बाधा और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है। जो साधक श्रद्धापूर्वक उनकी पूजा करता है उसे दिव्य शक्ति, आत्मविश्वास और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। मां का यह रूप जीवन से तमोगुण और अज्ञान का नाश करके भक्ति का प्रकाश फैलाता है। अगर आप नवरात्रि के अन्य स्वरूपों के बारे में भी जानना चाहते हैं, तो हमारे लेख Maa Kushmanda Ka Mahatva और Maa Skandamata Mantra भी पढ़ सकते हैं। साथ ही और धार्मिक लेखों व त्योहारों से जुड़ी जानकारी के लिए Jagran Spiritual पर भी विजिट कर सकते हैं।
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