मां स्कंदमाता (Maa Skandamata) नवरात्रि के पाँचवें दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। मां का यह स्वरूप शांति, करुणा और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार मां स्कंदमाता अपने गोद में भगवान स्कंद कुमार (कार्तिकेय) को विराजमान करती हैं, इसी कारण उन्हें “स्कंदमाता” कहा जाता है। नवरात्रि के इस दिन मां की उपासना करने से भक्त को बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माना जाता है कि श्रद्धा और भक्ति से मां स्कंदमाता मंत्र का जाप करने से जीवन से अंधकार दूर होकर भक्ति का दिव्य प्रकाश मिलता है। मां की पूजा विधि, कथा और मंत्रों का पाठ करने वाला साधक न केवल सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर होता है। इस लेख में हम विस्तार से मां स्कंदमाता की पूजा विधि, मां स्कंदमाता मंत्र, कथा और उनके अद्भुत महत्व के बारे में जानेंगे। इसके साथ साथ अगर आप गुजरती में नवरात्री विशेस पढना चाहते है तो आप हमारे Unique Navratri Wishes in Gujarati पेज पर विजित कर सकते है
मां स्कंदमाता नवरात्रि के पाँचवें दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। इन्हें भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण स्कंदमाता कहा जाता है। मां का यह स्वरूप करुणा, शांति और शक्ति का प्रतीक है। इन्हें कमल पर विराजमान और गोद में स्कंद कुमार को धारण करते हुए दर्शाया जाता है। मां स्कंदमाता की उपासना करने से साधक की बुद्धि प्रखर होती है, जीवन में समृद्धि आती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थल पर कलश स्थापित कर मां स्कंदमाता की प्रतिमा या चित्र रखें।
धूप, दीप, पुष्प और फल अर्पित करें।
मां स्कंदमाता के मंत्र का जाप करें।
दुग्ध, केले और मिठाई का भोग लगाएँ।
अंत में मां की आरती करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां स्कंदमाता के प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं –
🔹 ॐ देवी स्कंदमातर्यै नमः।
🔹 सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
इन मंत्रों के जाप से भक्ति का भाव जागृत होता है और साधक के जीवन से भय, रोग व विघ्न समाप्त होते हैं। मां स्कंदमाता मंत्र का नियमित जाप करने से बुद्धि का विकास होता है और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राक्षस तारकासुर का वध करने के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ, तब देवी को स्कंदमाता कहा गया। स्कंदमाता ने अपने पुत्र स्कंद को देवताओं का सेनापति बनाकर असुरों का नाश कराया। इसीलिए मां स्कंदमाता की पूजा से व्यक्ति में साहस, शक्ति और विजय प्राप्त करने की क्षमता आती है।
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नवरात्रि के पाँचवें दिन जो साधक मां स्कंदमाता की उपासना करता है, उसके जीवन में संतोष और शांति आती है। इस दिन पूजा करने से ग्रहदोष, पितृदोष और मानसिक तनाव दूर होता है। माना जाता है कि यह दिन विशेष रूप से बुद्धि और विवेक की प्राप्ति के लिए उत्तम होता है।
मां स्कंदमाता की आरती:
जय स्कंदमाता जय जय अंबे,
पुत्र सहित तुमको नित ध्यावे।
कमलासन पर विराज मान हो,
भक्तों का जीवन तुम संवारो॥
आरती और स्तुति करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और परिवार पर मां का आशीर्वाद बना रहता है।
मां स्कंदमाता की उपासना से भक्त को कई दिव्य लाभ प्राप्त होते हैं:
बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
जीवन से दुःख, भय और बाधाएँ समाप्त होती हैं।
सांसारिक सुख-सुविधाओं के साथ-साथ आत्मिक शांति मिलती है।
भक्त के जीवन में विजय और समृद्धि का मार्ग खुलता है।
मां स्कंदमाता की कृपा से साधक को मोक्ष और परम आनंद की प्राप्ति होती है।
मां स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के पाँचवें दिन विशेष महत्व रखती है। उनकी उपासना से साधक को बुद्धि, शांति और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मां के मंत्र, पूजा विधि और कथा का स्मरण जीवन से अज्ञान का अंधकार मिटाकर भक्ति का दिव्य प्रकाश लाता है। अगर आप नवरात्रि से जुड़े और भी लेख पढ़ना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध अन्य आर्टिकल्स देखें। साथ ही विस्तृत धार्मिक जानकारी और त्योहारों से जुड़ी सामग्री के लिए Hindi Webdunia पर भी विजिट कर सकते हैं।
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